Environmental Pollution Kya Hai

Table of Contents

Environmental Pollution Kya Hai

दोस्तों आम तौर पर देखा जाए तो पर्यावरण शब्द विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा संस्कृत भाषा से लिया गया शब्द है इसको हम संस्कृत भाषा के ‘परि’ उपसर्ग और ‘आवरण’ से मिलकर बना एक शब्द कह सकते हैं । पर्यावरण ऐसी चीजों का समूह होता है जो किसी व्यक्ति या जीवधारीयों के चारों ओर से आवृत्त किए हुए होती है । 

पारिस्थितिकी और भूगोल में यह शब्द अंग्रेजी के पर्याय के रूप में इस्तेमाल किया जाता है यह फ्रांसीसी भाषा से अभिभूत शब्द है । पर्यावरण उन सभी भौतिक रासायनिक एवं जैविक कारकों की इकाई हैं जो किसी जीवधारी अथवा परितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविका को तय करते हैं सामान्य अर्थों में यह हमारे जीवन को प्रभावित करने वाले जैविक तथा अजैविक तत्वों, तथ्यों, प्रक्रियाओं और  घटनाओं के सामंजस्य से निर्मित इकाई है जो हमारे चारों और व्याप्त है

और हमारे जीवन की प्रत्येक घटना इसी के अंदर संपादित या यूं कहें कि घटित होती रहती है  हम मनुष्य अपनी समस्त दैनिक क्रियाओं से पर्यावरण को प्रभावित करते रहते हैं  जिस प्रकार एक जीवधारी और पर्यावरण के बीच बहुत घनिष्ठ संबंध होता है ठीक उसी प्रकार पर्यावरण के जैविक संगठनों में सूक्ष्म जीवाणुओं से लेकर कीड़े मकोड़े सभी जीव जंतु एक दूसरे से संबंध रखते हैं ।

 इन सब में जीव-जंतु, कीड़े-मकोड़े, पेड़-पौधे आदि आते हैं पर्यावरण में ये सभी जैविक क्रियाएं और प्रक्रियाएं अजैविक संघटकों में जीवन रहित तत्व और उनसे जुड़ी प्रक्रिया सम्मिलित होती रहती हैं जैसे चट्टान, पर्वत, नदी, हवा और जलवायु के परिवर्तन इत्यादि ।

पर्यावरण से सम्बंधित विवरण…….

दोस्तों अगर देखा जाए तो पर्यावरण का सीधा संबंध प्रकृति से है अपने आसपास हम तरह-तरह के जीव जंतु पेड़ पौधों तथा अन्य सजीव निर्जीव वस्तुओं को देखते हैं वे सभी मिलकर ही पर्यावरण का निर्माण करती हैं पर्यावरण के विस्तृत ज्ञान के लिए पर्यावरण के अध्ययन के साथ-साथ इससे संबंधित व्यवहारिक ज्ञान पर बल दिया जाना चाहिए तभी हम सब लोगों को पर्यावरण के संबंध में जागरूक कर पाएंगे और हमारा पर्यावरण प्रदूषण मुक्त हो सकेगा । आधुनिक समाज और व्यक्तियों को पर्यावरण से संबंधित समस्याओं की शिक्षा व्यापक स्तर पर दी जानी चाहिए वास्तव में सजीव और निर्जीव मिलकर प्रकृति का निर्माण करते हैं इनसे ही पर्यावरण का निर्माण होता है जीव जगत में यद्यपि मानव सबसे अधिक सचेतन एवं संवेदनशील प्राणी है तथा अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु मानव वन्य जीव-जंतु, पादप, वायु, जल तथा भूमि पर निर्भर रहता है मानव के परिवेश में पाए जाने वाले जीव-जंतु, पादप, वायु, जल आदि पर्यावरण की संरचना का निर्माण करते हैं ।

शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा पर्यावरण का ज्ञान मानव जीवन के बहुमुखी विकास का प्रबल साधन साबित हो सकता है

इसका मुख्य उद्देश्य व्यक्ति के अंदर शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक बुद्धि का विकास एवं परिपक्वता लाना होता है !शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु प्राकृतिक वातावरण का‌ मानव को ज्ञान होना अति आवश्यक है हमारी आने वाली पीढ़ियों को पर्यावरण में हो रहे विभिन्न प्रकार के परिवर्तनों का ज्ञान शिक्षा के माध्यम से किया जाना चाहिए जिससे आगे चलकर इनके विभिन्न तकनीकी पहलुओं पर विचार किया सके जो मानवीय और पर्यावरण, जीव-जंतुओं की सुरक्षा के लिए अति आवश्यक होंगे ।

पर्यावरण के प्रकार

दोस्तों यहां हम आपको पर्यावरण के प्रकार के बारे में बताएंगे कि पर्यावरण कितने प्रकार के होते हैं…………

पर्यावरण के प्रकारों के अंतर्गत भौतिक एवं जैविक सभी प्रकार के पर्यावरण सम्मिलित होते हैं

भौतिक घटकों की तीन अवस्थाएं होती हैं ठोस, द्रव तथा गैस इन घटकों के आधार पर

भौतिक पर्यावरण की तीन श्रेणियां निर्धारित की गई हैं ।

1. स्थलमंडलीय पर्यावरण

2. जलमंडलीय पर्यावरण

3. वायुमंडलीय पर्यावरण

इसी प्रकार जैविक घटकों को दो भागों वनस्पति एवं जंतु के आधार पर बांटा गया है…………….

जैविक पर्यावरण की दो श्रेणियां होती हैं

1. वानस्पतिक पर्यावरण

2. जंतु पर्यावरण

विभिन्न जीव धारियों द्वारा सामाजिक समूह एवं संगठन की रचना करने के कारण सामाजिक पर्यावरण का निर्माण होता है

जिसके अंतर्गत प्रत्येक जीवधारी को अपने जीवन निर्वाह और अस्तित्व के संवहन के लिए

भौतिक पर्यावरण से पदार्थों को प्राप्त करना पड़ता हैं इसके फलस्वरुप आर्थिक पर्यावरण का निर्माण होता है

इसी प्रकार मनुष्य द्वारा सांस्कृतिक और राजनैतिक पर्यावरण का निर्माण होता है ।

पर्यावरण और परीतंत्र

पर्यावरण अपनी संपूर्णता में एक इकाई है जिसमें अजैविक और जैविक संगठन आपस में विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा संबंध रखते हैं

इसकी यही विशेषता इसे परितंत्र का रूप प्रदान करती है

क्योंकि पारीस्थितिकी तंत्र या परीतंत्र पृथ्वी के किसी क्षेत्र में समस्त जैविक

और अजैविक तत्वों से संबंधित समूह को परीतंत्र कहते हैं

अत: पृथ्वी के पैमाने के हिसाब से वृहक्तम परितंत्र जैवमंडल को माना जाता है

जैवमंडल पत्रिका वह भाग है जिसमें विभिन्न प्रकार के जीवधारी पाए जाते हैं

और यह स्थ्लमंडल, जलमंडल और वायुमंडल में व्याप्त रहती है

पुरे पार्थिव पर्यावरण की रचना भी इन्हीं ईकाइयों से हुई है

माना जाता है कि पृथ्वी के वायुमंडल का वर्तमान संघठन और इसमें ऑक्सिजन की वर्तमान मात्रा पर जीवन होने का कारण यही है ।

प्रकाश संश्लेषण जो एक जैविक प्रक्रिया है पृथ्वी के वायुमंडल के घठन को प्रभावित करने वाली महत्वपूर्ण प्रक्रिया मानी जाती है

इस प्रकार के चिंतन से जुड़ी विचारधारा पूरी पृथ्वी को एक इकाई या सजीव पृथ्वी के रूप में देखा जा सकता है ।

इसी प्रकार मनुष्य के ऊपर पर्यावरण के प्रभाव और मनुष्य द्वारा पर्यावरण पर डाले गए

प्रभावों का अध्ययन मानव पारिस्थितिकी और मानव भूगोल का प्रमुख अध्ययन बिंदु है ।

विश्व पर्यावरण दिवस

दोस्तों विश्व पर्यावरण दिवस अभियान की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1972 में की गई थी

यह दिवस प्रति वर्ष 5 जून को विश्व भर में मनाया जाता है

यह दुनिया भर मैं गरम वातावरण के मुद्दों के बारे में लोगों में जागरूकता प्रदान करने के लिए प्रयुक्त राष्ट्र द्वारा मनाया जाता है ।

इस अभियान का मुख्य उद्देश्य लोगों के सामने पर्यावरण के मुद्दों का वास्तविक चेहरा लाना है

और उन्हें विश्व भर में पर्यावरण के अनुकूल विकास का सक्रिय प्रतिनिधि बनाने के लिए सशक्त करना है ।

विश्व पर्यावरण दिवस सुरक्षित भविष्य का निर्माण करने के लिए पर्यावरण की और लोगों की धारणा में बदलाव लाने को भी बढ़ावा देता है !

सबसे पहले 5 जून 1947 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था

इसमें हर साल दुनीया भर के 143 से अधिक देश हिस्सा लेते हैं

इसमें कई सरकारी, सामाजिक और व्यवसायिक लोग पर्यावरण की सुरक्षा, समस्या आदि विषय पर चर्चा करते हैं ।

पर्यावरण प्रदूषण क्या है ?

दोस्तों आज के इस युग में पर्यावरण प्रदूषण की समस्या सबसे जटिल समस्या है

क्योंकि प्रदूषण के कारण हमारे पर्यावरण पर इसका हानिकारक प्रभाव पड़ता जा रहा है

आइये प्रदूषण के विषय के बारे में विस्तार से जानकारी लेते हैं ………

प्रदूषण पर्यावरण में दूषित पदार्थों के प्रवेश के कारण पर्यावरण संतुलन में जो दोष पैदा होता है उसे पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं ।

हवा, पानी, मिट्टी आदि का आच्छादित द्रव्यों से दूषित होना सजीवों पर प्रत्यक्ष रूप से विपरीत प्रभाव डालता है

तथा इसके साथ-साथ पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचता है और पर्यावरण पर अन्य अप्रत्यक्ष प्रभाव भी पडते रहते है

तथा पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान भी पहुंचता है !

वर्तमान समय में पर्यावरण प्रदूषण एक मुख्य समस्या के रूप में समस्त विश्व के सामने उभरा है ।

प्रदूषण के कुछ मुख्य प्रकार निम्नवत हैं……

1. वायु प्रदूषण वातावरण में सम्मिलित कुछ रसायन तथा अन्य सूक्ष्म कणों के मिश्रण को वायु प्रदूषण कहा जाता है

सामान्यतः वायु प्रदूषण कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, क्लोरो, कार्बन तथा उद्योगों से

निकलने वाला धुआं, मोटर वाहनों से निकलने वाला नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे प्रदूषक तत्वों से होता है ।

हमारे वातावरण में मौजूद धुंआ वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है

वायु में उपस्थित धूल और मिट्टी के सूक्ष्म कण सांस के द्वारा फेफड़ों में पहुंचकर शरीर में कई बीमारियां पैदा करते हैं ।

2. जल प्रदूषण – जल में अनौपचारिक घरेलू सीवेज के निर्वहन और क्लोरीन जैसे

रासायनिक प्रदूषक तत्वों के मिलने से जल प्रदूषण फैलता है

यह रासायनिक तत्व पौधों और पानी में रहने वाले जीवों के लिए हानिकारक होते है ।

3. भूमि प्रदूषण – भूमि पर ठोस कचरे के फैलने और रासायनिक पदार्थों के रिसाव के कारण भूमि में प्रदूषण फैलता है ।

4. प्रकाश प्रदूषण – यह अत्यधिक कृत्रिम प्रकाश के कारण होता है ।

5. ध्वनि प्रदूषण – वायुमंडल में अत्यधिक शोर जिसमें हमारी दिनचर्या बाधित होती है

और हमें सुनने में अप्रिय महसूस होता है ऐसी ध्वनि को ध्वनि प्रदूषण कहते हैं ।

6. रेडियोधर्मी प्रदूषण परमाणु ऊर्जा उत्पादन और परमाणु हथियारों के अनुसंधान, निर्माण

और तैनाती के दौरान उत्पन्न हुए प्रदूषण को रेडियोधर्मी प्रदूषण कहते हैं ।

7. वायु प्रदूषण- वायु प्रदूषण अर्थात हवा में उपस्थित ऐसे अवांछित गैस और धूल के कणों की उपस्थिति

जो मानव तथा प्रकृति दोनों के लिए खतरे का कारण बनती है

ऐसी स्थिति को वायु प्रदूषण कहा जाता है ।

वायु प्रदूषण के कारक

1. वाहनों से निकलने वाला धुआं ।

2. औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला धुआं और विभिन्न प्रकार के रासायनिक गैस ।

3. आणविक परमाणु संयंत्रों से निकलने वाली अत्यधिक जहरीली गैस तथा धूल के कण ।

4. विश्व में बढ़ते जंगलों के कटान तथा पेड़ पौधों के बचे हुए

अवशेषों के जलने से, कोयले के जलने से तथा तेल-शोधन कारखानों से निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है ।

 

पर्यावरण प्रदूषण क्या है

वायु प्रदूषण के प्रभाव

वायु प्रदूषण हमारे वातावरण तथा मनुष्य के ऊपर अनेक प्रभाव डालता है उनमें से कुछ प्रभाव हम आपको बता रहे हैं ……..

1. हवा में अवांछित गैसों की उपस्थिति से मनुष्य, पशु तथा पक्षियों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है ।

2. वायु प्रदूषण से सर्दियों के मौसम में वातावरण में घना कोहरा छाया रहता है

जिसके कारण धुएं तथा मिट्टी के कण कोहरे में मिल जाते है ।

इससे प्राकृतिक द्रस्यता में कमी आती है तथा आंखों में जलन पैदा हो जाती है,

पशुओं और मनुष्यों को सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है ।

औजोन परत हमारी पृथ्वी के चारों और उपस्थित एक ऐसा सुरक्षात्मक गैस की परत होती है

जो हमें सूर्य से आने वाली हानिकारक अल्ट्रावाॅयलेट किरणों से बचाती हैं

वायु प्रदूषण के कारण आनुवांशिकी तथा त्वचा कैंसर के खतरे बढ़ जाते हैं ।

वायु प्रदूषण के कारण पृथ्वी का तापमान घटता-बढ़ता रहता है

क्योंकि सूर्य से आने वाली किरणों की गर्मी के कारण पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड,

मीथेन तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड गेसों का प्रभाव कम नहीं होता जो पृथ्वी के लिए बहुत हानिकारक माना जाता है ।

वायु प्रदूषण से वातावरण में अम्लीय वर्षा होने के खतरे बढ़ जाते हैं

क्योंकि बारिश के पानी में सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड आदि

जहरीली गैसों के घूलने की संभावना बढ़ जाती है

इससे हमारी फसलों, पेड़-पौधों, भवनों तथा ऐतिहासिक इमारतों को नुकसान पहुंच सकता है ।

जल प्रदूषण क्या है ?

पानी पर उपस्थित अवांछित तथा घातक तत्वों से जल दूषित हो जाता है

जिससे यह जल पीने योग्य नहीं रहता इसी प्रक्रिया को जल प्रदूषण कहा जाता है !

जल प्रदूषण के कारण

दोस्तों जल प्रदूषण होने के विभिन्न कारण होते सकते हैं

तो चलिए हम आपको बताते हैं कि जल प्रदूषण के क्या-क्या कारण हो सकते हैं……

1. मानव मल का नदियों, नहरों आदि में विसर्जन होना जल प्रदूषण का मुख्य कारण है ।

2. सीवर की सफाई तथा सीवर का उचित प्रबंधन ना होना ।

3. विभिन्न औद्योगिक इकाइयों द्वारा उद्योगों से निकले हुए कचरे तथा गंदे पानी का नहरों तथा नदियों मैं विसर्जन ।

4. कृषि कार्य में उपयोग आने वाले जहरीले रसायन तथा खादों का जल में घुलनशील होना ।

5. नदियों में मानव द्वारा कूड़े-कचरे, मानव शवों और पारंपरिक प्रथाओं का पालन करते हुए

मनुष्य जीवन में उपयोग की जाने वाली प्रत्येक घरेलू सामग्री का जल में विसर्जन करना ही जल प्रदूषण का मुख्य कारण है ।

जल प्रदूषण क्या है

जल प्रदूषण के प्रभाव-  इससे मनुष्य, पशु तथा पक्षियों के स्वास्थ्य को खतरा उत्पन्न होता है

जल प्रदूषण से टाएफाइड, पीलिया, हैजा तथा गैस्टिक आदि बीमारियां उत्पन्न हो सकती है

इससे भूगर्भ में पीने के पानी की कमी बढ़ती है

क्योंकि जल प्रदूषण से नदियों, नहरों यहां तक की जमीन के भीतर का पानी भी प्रदूषित हो जाता है ।

ध्वनि प्रदूषण क्या है ?

शोर प्रदूषण से आशय अनावश्यक, अनुपयोगी, सुविधाजनक, कर्कश ध्वनि से है

ध्वनि प्रदूषण दो प्रकार के होते हैं ……

1. प्राकृतिक

2. कृत्रिम

प्राकृतिक- प्राकृतिक प्रदूषण के स्रोत में बादलों का गरजना, नदियों व झरनों का शोर, तूफान व भूकंप से होने वाला शोर है ।

कृत्रिम प्रदूषण- इसमें कृत्रिम शोर प्रदूषण की श्रेणी में आता है

ध्वनि प्रदूषण की मात्रा को उसके दबाव, सघनता, उच्चता से मापा जाता है शोर मापने की इकाई को डेसीबल कहते हैं !

ध्वनी प्रदूषण के कारण ध्वनि प्रदूषण के मुख्य कारण वाहनों से निकलने वाली आवाज है

इसके अन्य कारण निम्न प्रकार है………….

1. धार्मिक आयोजनों में लाउडस्पीकर के तेज ध्वनी में बजाने से भी ध्वनी प्रदूषण होता है ।

2. विवाह समारोह आदि में डीजे का तीव्र ध्वनी से बजाया जाना ।

3. वायुयानो का शोर और राजनीतिक कार्यक्रमों में उत्पन्न तेज ध्वनि के कारण भी ध्वनि प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है ।

ध्वनि प्रदूषण के क्या क्या प्रभाव हैं

1. ध्वनि प्रदूषण का सर्वाधिक दुष्प्रभाव मनुष्य के कान पर पड़ता है क्योंकि ध्वनि प्रदूषण से सुनने की शक्ति का हास होता है ।

2. ध्वनी प्रदूषण से चिडचिडापन, बहरापन, चमडी पर सरसराहट, चक्कर आना, स्पर्श अनुभव की कमी होना

आदि दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं अधिक शोर के कारण व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है

मनुष्य का सुनने का स्तर 190 डेसीबल तक होता है इससे अधिक शोर होने पर व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है !

3. कान का पर्दा फटना या कान सुन्न हो जाना, बेचैनी, हृदय गति का अनियमित होना

आदि प्रभाव ध्वनि प्रदूषण के कारण हमारे स्वास्थ्य पर पड़ते हैं ।

मृदा प्रदूषण

मृदा या भूमि प्रदूषण से अभिप्राय भूमि पर जहरीले अवांछित और अनुपयोगी पदार्थों को भूमि में विसर्जित करने से है

क्योंकि इससे भूमि का निम्नीकरण होता है और मिट्टी की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है ।

भूमि प्रदूषण के कारण

1. कृषि में उर्वरकों, रसायनों तथा कीटनाशकों का अधिक प्रयोग करना ।

2. औद्योगिक इकाइयों तथा खानों-खदानों से निकले ठोस कचरे का विसर्जन करना ।

3. भवनों सड़कों आदि के निर्माण में ठोस कचरे का विसर्जन ।

4. कागज तथा चीनी मिलों से निकलने वाले पदार्थों का मिट्टी में विसर्जन जो मिट्टी द्वारा अवशोषित नहीं हो पाता ।

5. प्लास्टिक की थैलियों का अधिक उपयोग जो जमीन में दबकर गलती सडती नहीं है और वे थैलियां सालों साल तक उसी रूप में भूमि में दबी रहती हैं ।

भूमि प्रदूषण के प्रभाव

भूमि प्रदूषण के निम्न प्रकार के हानिकारक प्रभाव हैं

1. कृषि योग्य भूमि की कमी

2. भोज्य पदार्थों के स्त्रोतों को दूषित करने के कारण स्वास्थ्य में होने वाली विभिन्न हानिकारक समस्याओं के कारण ।

3. भूस्खलन से होने वाली हानियां ।

4. जल तथा वायु प्रदूषण में वृद्धि ।

पर्यावरण विधी

पर्यावरण पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभाव को कम करने के लिए पर्यावरण विधि के तहत सरकार द्वारा कई प्रावधान बनाए गए हैं

भारत में पर्यावरणीय विधि या पर्यावरण विधि समुचित रूप से उन सभी अंतरराष्ट्रीय अथवा क्षेत्रीय संधियों, समझौतों और संवैधानिक विधियों को कहा जाता है जो प्राकृतिक पर्यावरण पर मानव प्रभाव को कम करने और पर्यावरण को साधारण बनाए रखने के लिए तत्पर है ।

भारत में पर्यावरण कानून पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम 1986 में गठित किया गया जो सरकार द्वारा किया गया एक व्यापक कदम है

इसकी रूपरेखा केंद्र सरकार के विभिन्न केंद्रीय और राज्य प्राधिकरणों के क्रियाकलापों द्वारा तैयार कि गयी थी

इसकी स्थापना पिछले कानूनों के तहत की गई थी

जैसा कि जल अधिनियम और जलवायु अधिनियम अन्य विधियों में

भारतीय वन अधिनियम (1927) और वन्य जीव संरक्षण अधिनियम (1972) प्रमुख है

इसी के तहत भारत सरकार द्वारा एक राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण का भी गठन किया गया था ।

पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण के उपाय

पर्यावरण प्रदूषण से बचने के लिए हमें अत्यधिक पेड़ लगाने चाहिए

प्रकृति में मौजूद प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन से बचना चाहिए

और इसके अतिरिक्त जनसंख्या वृद्धि पर भी रोक लगनी चाहिए

अधिक जनसंख्या वृद्धि हमारे वातावरण और समस्त विश्व के लिए एक प्रमुख समस्या उत्पन्न होती जा रही है

मनुष्यों के आवास के लिए वनों से कटाई होना पर्यावरण प्रदुसण का मुख्या कारण है ।

रसायनिक उर्वरकों के साथ जैविक खाद के इस्तेमाल को बढ़ावा मिलना चाहिए

कूड़े कचरे को इधर-उधर नहीं फेंकना चाहिए जिससे पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता है

कारखानों से निकलने वाले गंदे पानी को सीधे नदी नालों में ना डालकर

उस जल की सफाई करते हुए नदियों में वापस बहाना होगा ! अनावश्यक रूप से मोटर वाहनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए ताकि ध्वनि के अत्यधिक प्रसार को नियंत्रित किया जा सके ।

सभी सरकारों को चाहिए कि वे उद्योगों व कारखानों को प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रेरित करें

और ऐसे उद्योगों पर रोक लगाएं जो सर्वाधिक प्रदूषण फेलाते है !

सबसे जरूरी बात यह है कि हमें लोगों को जागरूक बनाना होगा तभी प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है

पर्यावरण, प्रकृति हमें जीने का आधार प्रदान करते हैं

हमें चाहिए कि हम आम लोगों को जागरूक बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम और ऐसी फिल्मों का निर्माण करें

जो पर्यावरण को बचाने के लिये लोगों को जागरूक बनाएं !

हमें लोगों को पर्यावरण से होने वाले लाभ और उसके प्रदूषित होने पर

उससे होने वाली समस्याओं की विस्तृत जानकारी उपलब्ध करानी होगी ताकि पर्यावरण को दूषित होने से रोका जा सके ।

 

इसे  भी पढ़ें………Computer क्या है ? और इसकी विशेषताऐ क्या है ?

 

निष्कर्ष- दोस्तों इस लेख में हमने आपको पर्यावरण से सम्बंधित जानकारी दी !

तथा हमने आपको बताया की केसे पर्यावरण प्रदूषण से बचा जा सकता है

हमे पर्यावरण प्रदूषण को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए क्योंकि विकास और पर्यावरण एक दूसरे के विरोधी नहीं हैं

अपितु एक दूसरे के पूरक हैं संतुलित और शुद्ध पर्यावरण के बिना मानव का जीवन कष्टमय में हो सकता है

विकास हमारे लिए आवश्यक है और इसके लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन भी आवश्यक है

किंतु ऐसा करते हुए हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि इससे पर्यावरण को किसी भी प्रकार का नुकसान ना होने पाए !

पृथ्वी के बढ़ते तापक्रम को नियंत्रित करने के लिए, जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए

देसी तकनीकों से बने उत्पादों का उत्पादन तथा उपभोग जरूरी है

इसके साथ ही प्रदूषण को कम करने के लिए सामाजिक तथा कृषि वानिकी के माध्यम से

अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाने चाहिए जिससे पर्यावरण को दूषित होने से बचाया जा सके ।

 

 

 

इसे भी पड़ें………….

Mega Millions winning ticket worth $1.6 billion purchased in South Carolina

धन्यवाद

Leave a Comment

May God rest Ratan Tata’s soul.